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नाम में क्या रखा है?

12 mins. read

Published in the Sunday Navbharat Times on 29 June 2025

...वे हमसे पूछते हैं कि ‌‘क्या आप जानते हैं कि आप कहाँ हैं? क्या आप जानते हैं कि पहले इस जगह को क्या कहा जाता था?‌ ‘क्योंकि नाम स़िर्फ लेबल नहीं होते...

‌‘तोआपके नाम का क्या मतलब है? ये नाम तो बड़ा सुंदर लगता है।‌‘ मैं हाल ही में एक सालाना अमेरिकन ट्रॅवल इंडस्ट्री ईवेन्ट में भाग लेने के लिए शिकागो के एक व्यस्ततम कॉन्फरेंस हॉल में थी। वो ऐसा ईवेन्ट है, जिसमें ढेर सारे नेम बॅजेस होते हैं, कॉफी पीते हुए ढेरों बातचीत होती है, और वहां शेयर्ड मॅप्स तथा मार्केटिंग डेक्स पर अनेक नए बिज़नेस रिलेशन बनते हैं। उस वक्त हम डेस्टिनेशंस के बारे में बात कर रहे थे - क्या नया है, क्या ट्रेंडिंग है - और फिर उसने मुझसे यह सवाल पूछा और मुझे थोड़ा चौंका दिया। “यह भगवान कृष्ण का फीमेल वर्ज़न है,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “लेकिन शाब्दिक रूप से इसका अनुवाद करें तो सुनीला का अर्थ होगा एक गुड ब्लू।” उसने हँसते हुए जवाब दिया,“ठीक है, फिर मिलेंगे, गुड ब्लू!”

यह एक छोटा सा सिली मोमेंट था, लेकिन इसने जैसे एक जमी हुई बर्फ को पिघला दिया था, और ऐसा काम केवल नाम ही कर सकते हैं।

वह छोटी सी बातचीत मेरे दिमाग में बनी रही - खास तौर पर इसलिए, क्योंकि मैंने हाल ही में नामों की उत्पत्ति के बारे में एक पॉडकास्ट सुना था। इसमें बताया गया था कि कितने सारे नाम या तो उनके अर्थों (नियोति = भाग्य, जितेश = वह जो सभी पर विजय प्राप्त करता है), पूर्वजों (रिचर्ड ।, रिचर्ड ॥), देवताओं (आदित्य = सूर्य) या यहाँ तक कि उन स्थानों से लिए गए हैं जहाँ लोग पैदा हुए थे। इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर नाम हमारे लिए इतने मायने रखते हैं, तो उन जगहों के नामों के बारे में क्या कहें, जहाँ हम यात्रा करते हैं?

हम अक्सर थोड़ा सा रुककर यह नहीं सोचते हैं कि किसी देश को उसका वो नाम कैसे और क्यों मिला होगा। या क्यों किसी शहर का नाम एक भाषा में काव्यात्मक लगता है, और दूसरी भाषा में मज़ेदार। लेकिन जगहों के नाम अपने में कई कहानियों को समेटे हुए होते हैं। कभी-कभी वे प्राचीन मूल के होते हैं, और कई बार वे चाइनीज़ व्हिस्पर्स की तरह उनके वर्तमान नामों में अनुवादित होते हैं; कई बार उनका जन्म कोलोनियल कंफ्यूजन से हुआ होता है, तो कभी-कभी वे नाम उन्हें संयोग से मिल गए होते हैं। हम कई बार उन्हें देख-सुनकर मुस्कुरा देते हैं, जैसे कि दक्षिण अमेरिका का देश चिली असल में नक्शे पर भी बिल्कुल चिली, यानी मिर्च की तरह ही दिखता है।

तो इस हफ़्ते, आइए हम उन जगहों के नामों के बहाने विश्व भ्रमण पर चलें, जहाँ हम घूमने जाते हैं या जाना चाहते हैं, और हम देखें कि अगर हम उन्हें ध्यान से सुनें, तो वे हमें क्या बताते हैं।

चिली

आग और बर्फ वाली लंबी और पतली ज़मीन: तो चलिए, शुरुआत करते हैं चिली के आकार वाले चिली देश से। चिली उत्तर से दक्षिण तक लंबाई में लगभग 4300 किलोमीटर से ज़्यादा भाग में फैला हुआ है और कई जगहों पर तो यह देश इतना सँकरा हो जाता है कि आप इसे दो घंटे से भी कम समय में पार कर सकते हैं।

इसका नाम संभवतः आयमारा शब्द चिरी से आया है, जिसका मतलब है ‌‘ठंडा‌‘, या चिली, जिसका मतलब है ‌‘जहाँ जमीन समाप्त होती है।‌‘ दोनों ही नामों में अर्थ छुपे हुए हैं: उत्तर में सूखा अटाकामा रेगिस्तान है और दक्षिण में पॅटागोनिया के बर्फिले फिओर्ड्स हैं। यह विपरीतताओं की ज़मीन है, जो एक मुड़े हुए रिबन की तरह परतदार है।

यहाँ क्यों जाएँ : यहाँ आप धरती के सबसे साफ आसमान में तारों को निहार सकते हैं। यहाँ आप एंडीज के नीचे वाइन का मज़ा ले सकते हैं। चिली नाम भले ही आपको हॉट लग सकता है, लेकिन यहाँ के अनुभव आपके लिए जलवायु, संस्कृतियों और भूभाग के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं।

पेरू

मधुर संबंधों वाला एक रहस्यमय नाम: दक्षिण अमेरिका में, चिली के ठीक ऊपर पेरू स्थित है। कोई नहीं जानता कि ‌‘पेरू‌‘ नाम कहाँ से आया है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका नाम स्थानीय शासक बिरू के नाम पर रखा गया है, जिनसे स्पॅनिश लोगों की मुलाकात पनामा में हुई थी। कई लोगों को लगता है कि यह एक स्थानीय शब्द का अपभ्रंश है।

हालाँकि हिंदी में ‌‘पेरू‌‘ का मतलब अमरूद होता है - उष्णकटिबंधीय, रंगीन, मीठा। और जब मैं पेरू के बाज़ारों में घूम रही थी, तो पके फलों, हाथ से बने कपड़ों और पहाड़ी हवा की खुशबू से घिरा हुआ यह देश आश्चर्यजनक रूप से अपने नाम के हिसाब से सही लगा।

यहाँ क्यों जाएँ: यहाँ आप दुनिया के अजूबों में से एक माचू पिच्चू को देखकर खुद को अचरज में डाल सकते हैं। लेकिन इसके साथ कुस्को में चिचा का भी मज़ा लेना ना भूलें, क्योंकि यह एक ऐसा गाँव है, जो सदियों से नहीं बदला है, जब आप इंकास की भूमि को आश्चर्य से देखते हैं। कोल्का कॅन्यन के ऊपर कोंडोर्स को उड़ते देखते हुए आपको अमरूद के स्वाद की याद आ सकती है।

आइसलैंड और ग्रीनलैंड नामकरण में बड़ा धोखा

यह मुझे बेहद पसंद है। बस मॅप को देखते ही आपको तुरंत एक लीजेन्ड्री मिक्स-अप दिखाई देगा। आइसलैंड हरा-भरा और काई से भरा हुआ है, जब कि ग्रीनलैंड एक आइस कोल्ड फ्रोज़न टुंड्रा है। कहानी यह है कि वाइकिंग्स ने हमलावरों को गुमराह करने के लिए इन दोनों जगहों को इस तरह के उल्टे नाम दिए थे। हालाँकि इस बात की संभावना ज़्यादा है, कि उन्होंने बस वही नाम दिया जो उन्होंने देखा था। आइसलैंड में बर्फ दिखाई देती थी; ग्रीनलैंड में गर्मियों के दौरान एक हरा तटीय इलाका होता था।

यहाँ क्यों जाएँ: आइसलैंड में आप नॉर्दर्न लाइट्स के नीचे गर्म झरनों में नहा सकते हैं। ग्रीनलैंड में आप आइसबर्ग्स के बीच कयाकिंग का मज़ा ले सकते हैं और प्राचीन इन्युइट कहानियाँ सुन सकते हैं। इन दोनों ही जगहों के नाम भ्रम पैदा करनेवाले तो हैं, लेकिन इनका जंगलीपन ताज़गी से भरपूर है।

जापान - वह देश जहाँ सूर्य उदित होता है

पूर्व की बात करें तो हमें जापान ज़रूर घूमना चाहिए। ‌‘जापान‌‘ चीनी शब्द रिबन से आया है, जिसका मतलब है ‌‘सूर्य की उत्पत्ति‌‘। यही वजह है कि जापान को काव्यात्मक रूप से उगते सूरज का देश कहा जाता है। जापानी में इसे निहोन या निप्पॉन कहते हैं। और सच कहें तो आप इसे वहाँ महसूस करते हैं। चाहे वह हाकोने के पहाड़ों पर सूर्योदय हो या क्योटो की सुबह की चमक, जापान शुरुआत की शांत महिमा को बखूबी दिखाता है।

यहाँ क्यों जाएँ: यहाँ आप चाय की दुकान में माचा का स्वाद ले सकते हैं, टोक्यो के नीऑन लाइट्स में खो सकते हैं, या शिंकानसेन की राइड कर सकते हैं, जो शांत और स्वच्छ व्यवस्था के बीच एक बुलेट ट्रेन है। इस देश का नाम काव्यात्मक है, और ये देश इस पर खरा भी उतरता है।

मोरक्को - पश्चिम का साम्राज्य

अरबी में, मोरक्को को ‌‘अल-मग़रिब‌‘ कहा जाता है, जिसका मतलब है ‌‘पश्चिम‌‘ - यह इस्लामी दुनिया में सबसे पश्चिमी देश होने को संदर्भित करता है। लेकिन अगर हम अंग्रेजी भाषा की दृष्टि से देखें तो यह नाम मराकेश से आया है, जो कभी इसकी राजधानी थी।

यहाँ क्यों जाएँ: यहाँ आप ़फेज़ के बाज़ारों में घूम सकते हैं। नीले रंग से रंगे शहर में मिंट वाली चाय की चुस्कियाँ ले सकते हैं। मेरज़ुगा के टीलों पर सूर्यास्त का नज़ारा देख सकते हैं और इन सबके चलते आप समझ जाएँगे कि इस जगह की तरह इस नाम के भी कई मतलब हैं।

न्यूजीलैंड - माओरी देश का एक डच नाम

इस देश को ‌‘न्यूजीलैंड‌‘ नाम डच मानचित्रकारों द्वारा 17वीं शताब्दी में दिया गया था - नोवा ज़ीलैंडिया, जो डच प्रांत ज़ीलैंड (जिसका अर्थ है ‌‘समुद्री भूमि‌‘) के नाम पर रखा गया था। लेकिन माओरी का अपना नाम उससे बहुत पहले से था - एओटेरोआ, जिसका आम तौर पर अनुवाद ‌‘लंबे सफेद बादल का देश‌‘ होता है।

यहाँ क्यों जाएँ: इस द्वीप के दक्षिणी हिस्से में आप फिओर्ड और बर्फ से ढके पहाड़ों पर घूम सकते हैं। आप ज्वालामुखी वाले पठारों पर पैदल यात्रा कर सकते हैं और सितारों से भरे आसमान के नीचे माओरी किंवदंतियों को सुन सकते हैं। चाहे आप इसे एओटेरोआ कहें या न्यूज़ीलैंड, यह एक ऐसा देश है, जहाँ नामों में गहरी श्रद्धा होती है - इन्हें हवा, पानी और समय के साथ बोला जाता है।

इंडिया - वह नदी जो एक देश बन गई

अब चलिए, हम अपने देश की बात करते हैं। जब हम इसके नाम इंडिया के बारे में सोचते हैं, तो हम देखते हैं कि ये नाम इंडस नदी से आया है, जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है। सिंधू को फारसियों ने हिंदू कहा, यूनानियों ने इसे इंडोस कहा और बाद में अंग्रेज आए, जो इसे इंडिया कहकर यहाँ बस गए। इंडिया नाम हमारे देश को बाहर से दिया हुआ नाम है। वैसे हमारे देश का नाम भारत है!

और इस प्रकार भारत अपने भीतर हज़ारों नाम समेटे हुए है। देवताओं के नाम पर रखे गए शहरों के नाम। नदियों के नाम पर रखे गए राज्यों के नाम। कवियों और दर्शनशास्त्रियों के नाम पर रखे गए रास्तों के नाम।

मैंने अलास्का के तटवत इलाके में अपनी यूएसए का सफर जारी रखा, जो वास्तव में मुझे मंत्रमुग्ध करने वाला था, लेकिन इसके बारे में बाद में बात करेंगे। मुझे जो सबसे दिलचस्प लगा, वह था फेयर बैंक्स में एक कल्चरल सेंटर। हम अथाबास्कन कल्चर के बारे में जानकारी ले रहे थे और एक परफॉर्मेंस में वहां के एक स्वदेशी व्यक्ति ने हमें अपना परिचय देते हुए कहा - ‌‘मेरा नाम हेनोकेटनेह है‌‘ ‌‘इसके तीन मतलब हैं: भुलक्कड़, भूला हुआ या वह जो लोगों को उनके दुख भुला देता है।‌‘ वह मुस्कुराया। ‌‘मुझे तीसरा वाला मतलब पसंद है और मैं अपना जीवन उसी तरह जीने की कोशिश करता हूँ।‌‘

एक ट्रॅवलर के रूप में हम अक्सर तेज़ी से आगे बढ़ते हैं - फ़्लाइट्स, फोटोज़, हाइलाइट्स, हॅशटॅग्स, वगैरह-वगैरह। लेकिन जगहों के नाम हमें कहते हैं कि थोड़ा रुकें। वे हमसे पूछते हैं कि ‌‘क्या आप जानते हैं कि आप कहाँ हैं? क्या आप जानते हैं कि पहले इस जगह को क्या कहा जाता था?‌‘ क्योंकि नाम स़िर्फ लेबल नहीं होते। कभी-कभी वे किसी जगह की आत्मा का रूप-रंग, उसका नक्शा भी होते हैं।

तो मैं आपसे यह पूछना चाहूँगी कि क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हैं या किसी ऐसी जगह पर गए हैं, जिसका नाम उससे मिलने या वहाँ जाने के बाद भी लंबे समय तक आपके मन-मस्तिष्क में बना रहा? और क्या आप किसी जगह पर सिर्फ इसलिए जाना चाहेंगे, क्योंकि उस जगह का नाम आपको अपनी ओर आकर्षित कर रहा है?

June 27, 2025

Author

Sunila Patil
Sunila Patil

Sunila Patil, the founder and Chief Product Officer at Veena World, holds a master's degree in physiotherapy. She proudly served as India's first and only Aussie Specialist Ambassador, bringing her extensive expertise to the realm of travel. With a remarkable journey, she has explored all seven continents, including Antarctica, spanning over 80 countries. Here's sharing the best moments from her extensive travels. Through her insightful writing, she gives readers a fascinating look into her experiences.

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