IndiaIndia
WorldWorld
Foreign Nationals/NRIs travelling to

India+91 915 200 4511

World+91 887 997 2221

Business hours

10am - 6pm

पर्ल ऑफ द डैन्यूब

8 mins. read

Published in the Saturday Navbharat Times on 20 April, 2024

यदि मैं आपसे कहूँ कि पिछली बार जब मैं यूरोप का एक शहर घूमने गई तब मुझे कुल दो नहीं बल्कि असल में तीन शहर घूमने का मौका मिला था तो आपको कैसा लगेगा? ये एक ही यात्रा में दुगुना आनंद मिलने जैसी बात है! द पर्ल ऑफ द डैन्यूब यानी बुडापेस्ट महज एक शहर नहीं है बल्कि ऐतिहासिक रूप से समृद्ध नगरों की तिकड़ी है, जिन्हें अभी पर्यटकों का इंतज़ार है। डैन्यूब नदी पूरी शान से इसके मध्य से बह रही है, जो तीन शहरों बुडा, पेस्ट और ओबुदा की जीवनरेखा है। इन्हीं नामों को जोड़कर सुंदर शहर बुड़ापेस्ट का नाम पड़ा है। लेकिन हंगरी बहुराष्ट्रीयता के लिए कोई अजनबी नहीं रही है, जिसने ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के दोहरे काल को जिया है, जब फ्रांज़ जोसेफ 1 ऑस्ट्रिया और हंगरी दोनों देशोफ्ल पर राज करते थे।

बुड़ापेस्ट के अनेक प्रसिद्ध स्मारक नदी के आसपास बसे हैं, और मेरे लिए यह तय करना कठिन हो गया कि नदी का कौन सी तरफ का किनारा अधिक खूबसूरत है। हंगरी का संसद भवन सबसे आकर्षक इमारत है, जो डैन्यूब नदी के किनारों से घिरा है। सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट आयमर स्टेंडल द्वारा निर्मित यह नियो-गोथिक शैली की रचना अपने विशाल गलियारों और बारीक कला के साथ सभी को आकर्षित करती है। लंदन के वेस्टमिनिस्टर पैलेस की गोथिक छटा से प्रेरित, यह संसद भवन मीनारों, कमानों और सुंदर सजावटों से सजा है, जो बीते युग का स्मरण कराता है।

संसद की पृष्ठभूमि में नदी किनारे एक जगह बैठकर मैंने बुडा कासल की मध्य युगीन भव्यता को देखा जो कासल हिल के शिखर पर बसा है। दुर्भाग्य से यह दुर्ग (कासल) उस समय बंद था और काफी चलने के बाद मुझे मन ही मन खुशी हो रही थी कि अब और नहीं चलना है और फिर मैंने बैठकर उस कासल के विहंगम दृश्‍य का खूब आनंद लिया। कासल हिल पर एक और सबसे सुंदर इमारत मुझे देखने को मिली। डैन्यूब नदी के विहंगम दृश्‍य के साथ कासल हिल के शिखर पर बुडापेस्ट फिशरमैन्स बैस्टियन नियो-गोथिक और नियो-रोमानेस्क स्थापत्य कला का एक नायाब उदाहरण है। मध्य काल में शहर की दीवारों के इस पूरे क्षेत्र की रक्षा करनेवाले मछुआरों की वीरता की याद में इसे 19वीं सदी के उत्तरार्ध में निर्मित किया गया था। किले की संरचना विचित्र और आकर्षक है जो आगंतुकों का ध्यान अपने कथात्मक स्तंभों और बारीक शिल्पकला से आकर्षित करती है।

यह कितनी सुंदर बात है ना! जब एक स्थापत्य का नायाब नमूना न केवल आँखों को आनंद देता है बल्कि शहर के बीते दिनों की कहानी भी हमें याद दिलाता है। फिशरमैन्स बैस्टियन में सात बुर्ज हैं जो सात मग्यार जनजातियों का प्रतीक हैं जो 9वीं सदी में कार्पेथियन बेसिन में बसती थीं, और साथ ही यहाँ कोलोनेड्स और ऑर्नेट बालुस्ट्रेड्स से सजी छत भी है।

डैन्यूब पर रिवर क्रूज़ करना शहर की सुंदरता का आनंद लेने का सबसे बेहतरीन तरीका है। हम सभी शहर के प्रसिद्ध चेन ब्रिज को अवश्‍य जानते हैं जो बुडा और पेस्ट को जोड़नेवाला एकता का प्रतीक है। इंग्लिश इंजीनियर विलियम टियर्नी क्लार्क द्वारा की गई यह रचना 1849 में पूर्ण हुई जो ऐश्‍वर्यपूर्ण डैन्यूब नदी पर फैली संरचना है और जो बुडा और पेस्ट नामक ऐतिहासिक जिलों को जोड़ती है। अपनी भव्य कमानों और लोहे पर बनी सुंदर रचनाओं के साथ, यह चेन ब्रिज उस रोमांटिक दौर के भाव को अपने आप में सँजोए हुए है, जो भव्यता और एकत्व की भावना जगाता है। इसका निर्माण बुडापेस्ट के इतिहास के महत्वपूर्ण पलों में एक है जो शहर के दो भागों के बीच व्यापार और परिवहन को सुगम बनाता है और जिसके माध्यम से समृद्धि के नए दौर का आरंभ हुआ। इसकी स्थापत्य शिल्प की भव्यता से परे जाकर चेन ब्रिज ने बॉलीवुड के दीवानों के दिलों में एक विशेष जगह बनाई है। चेन ब्रिज अपनी सदाबहार मोहकता और नाटकीय पृष्ठभूमि के साथ बॉलीवुड की अनेक फिल्मों में प्रदर्शित हुआ है जो सिनेमाई कथानकों में रोमांस और मोहकता को जोड़ता है। इस ब्रिज पर अधिकांश भारतीय पर्यटक मानो पूर्वाभास का अनुभव करते हैं, क्योंकि इस चेन ब्रिज को लोगों ने फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम‘ (1999) में अनेक यादगार सीन्स में देखा है, जिसका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया, मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं ऐश्‍वर्या राय, सलमान खान और अजय देवगन ने।

जैसे ही रात घिरती है, बुडापेस्ट का एक नया रूप सामने आता है, डैन्यूब नदी पर विस्मयकारी चमक छा जाती है। मैंने रात के समय टहलने का मन बनाया और संसद भवन तथा फिशरमैन्स बैस्टियन की खूबसूरत रोशनाई का आनंद लिया। नदी के तट पर टहलते समय मैंने डैन्यूब पर शूज़ देखे, जो बुड़ापेस्ट का एक मर्मस्पर्शी स्मारक तथा धैर्य और स्मृतियों का प्रतीक है। डैन्यूब रिवर के किनारे संसद भवन के निकट स्थित इस चलायमान रचना में लोहे के 60 जोड़ी जूते हैं, जो उन यहूदियों का प्रतीक हैं जिन्हें विश्‍व युद्ध 2 के दौरान नदी के पास ही करुण तरीके से मारा गया था। इन जूतों के पास से प्रवाहित होती डैन्यूब की धारा की शांत कलकल के बीच पर्यटक उनके प्रति आदर प्रकट करते हैं, इस करूण गाथा को कभी न भूलने की शपथ लेते हैं और ऐसे विश्‍व युद्ध को रोकने का प्रण लेते हैं जहाँ इस प्रकार के अत्याचार हुए हों।

दिन भर दर्शनीय स्थलों की सैर करके आप चाहे आराम फरमाना चाहते हों, बाहर साहसिक गतिविधियाँ करने के बाद अपनी थकी हुई माँसपेशियों को सुकून देना चाहते हों या फिर खुद का ख्याल रखने पर ध्यान देना चाहते हों, हंगरी के थर्मल बाथ्स आपको अनुपम सुकून का एहसास दिलाते हैैं। यहाँ आप खुद को आराम दे सकते हैं और देश के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बीच सुकून तथा नई स्फूर्ति का भाव प्राप्त कर सकते हैं। ये थर्मल बाथ्स सामान्यतया ऐतिहासिक इमारतेों या प्राकृतिक स्थलों पर बने हैं, जहाँ पर्यटक विश्राम के कुछ पल बिताते हुए नई चेतना का अनुभव करते हैं और खुद को थेराप्युटिक जल में सराबोर कर लेते हैं। बुडापेस्ट में ही कर्इ सारे थर्मल बाथ्स हैं जैसे कि रीगल श्‍चेनई और ओटटोमैन-एरा रुडाज़ बाथ तथा गिलर्ट बाथ। सही बाथ की तलाश करने के बाद हमारे ध्यान में आया कि हमारे होटल में ही होटल के स्पा में थर्मल बाथ है, और शाम का समय होटल के स्पा में बिताया गया! बुडापेस्ट से 2 घंटे की दूरी पर लेक हेविज़ एक प्राकृतिक थर्मल लेक है जो पश्‍चिमी हंगरी में हेविज़ नगर के पास स्थित है, जिसे उसकी रोगहारी खूबियों तथा सुरम्य सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यह दुनिया की दूसरी विशालतम झील है और ये जैविक रूप से विशालतम सक्रिय प्राकृतिक थर्मल झील है, जो आरोग्य तथा विश्राम के लिए इसे एक खास और आकर्षक स्थान बनाता है।

बुडापेस्ट की मोहकता शहरी चमक दमक से भी परे जाकर दिखती है। यहाँ कुछ दूरी की ड्राइव पर लेक बैलेटन है जो हंगरी की एक लुभावनी जगह हैै, जहाँ पर जाकर महान कवि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर जी को प्रेरणा मिली थी। रविंद्रनाथ टैगोर जी का लेक बैलेटन का वह दौरा स्थानीय समाज के मन पर एक अमिट छाप छोड़ गया और यह हंगरी तथा भारत के बीच सांस्कृतिक आदान तथा मित्रता का प्रतीक बन गया। उनकी याद में बनी प्रतिमा, साहित्य, दर्शन और कला के प्रति उनकी विरासत और योगदान का स्मरण कराती है। बुडापेस्ट के उत्तर में, जहाँ डैन्यूब नदी घुमाव लेती है और जेंटेंड्रे का मोहक गाँव अपनी चित्रमय सुंदरता तथा कलात्मक सौंदर्य के साथ आपको पुकारता है। भीड़ भरे शहर से दूर यह एक आदर्श पर्यटन स्थल है। बुडापेस्ट से लौटते समय शानदार मार्केट हॉल जाना न भूलें और वहाँ पर बेहतरीन हंगेरियन पाप्रिका का स्वाद लेना न भूलें जो पाप्रिकाश, हंगेरियन वार्इन्स और यहाँ के अन्य पारंपरिक व्यंजनों को लुभावना स्पर्श देता है।

April 19, 2024

Author

Sunila Patil
Sunila Patil

Sunila Patil, the founder and Chief Product Officer at Veena World, holds a master's degree in physiotherapy. She proudly served as India's first and only Aussie Specialist Ambassador, bringing her extensive expertise to the realm of travel. With a remarkable journey, she has explored all seven continents, including Antarctica, spanning over 80 countries. Here's sharing the best moments from her extensive travels. Through her insightful writing, she gives readers a fascinating look into her experiences.

More Blogs by Sunila Patil

Post your Comment

Please let us know your thoughts on this story by leaving a comment.

Looking for something?

Embark on an incredible journey with Veena World as we discover and share our extraordinary experiences.

Balloon
Arrow
Arrow

Request Call Back

Tell us a little about yourself and we will get back to you

+91

Our Offices

Coming Soon

Located across the country, ready to assist in planning & booking your perfect vacation.

Locate nearest Veena World

Listen to our Travel Stories

Veena World tour reviews

What are you waiting for? Chalo Bag Bharo Nikal Pado!

Scroll to Top